गुब्बारे में कैद सपनें
कोने में बैठी उस
लड़की को
हमेशा
ख़ामोशी के
गुब्बारे फुलाते हुये देखा है
उस गुब्बारे में
उसके सपने क्यूँ कैद रहते
हैं
यह हर प्राणी की समझ से परे
सिवाए ख़ामोशी के खामोश ही
रहते हैं
लोग गुब्बारे में कैद
उसके सपनों में
एक बिंदिया चिपका कर
उसे हसाने की असफल चेष्टा करते हैं
लड़की फिर भी खामोश रहती है
कैदी सपने
उसकी आँखों में छिपे दृश्यों को
उकेर नहीं पाते
उसके अन्दर आग की चिंगारी
निरंतर बडवानल की तरह सुलगती रहती है
जबकि वह कई बार
अपने सपनो से बाहर आने की कोशिश करती
है
लड़की सामने पेड़ के ऊपर
हिलते पत्तों को देखती है चुपचाप
सोचती है कि इन पत्तों की तरह
उसके सपनों पर लहराते दृश्य
क्यूँ नहीं कोई हरकत कर पाते ?
आखिर उसके विशवास क्यूँ डगमगाते हैं
तभी हवा परदे हिलाती
उसके कानों में कुछ
गीत गाती चली जाती है
तभी महसूस करती है कि
उसके सपनें कमल की तरह
समय की लहरों पर
कुछ शब्द उकेरने लगते हैं
गुब्बारा उसकी खामोशी के सूखे पत्तों
का
एक नया वितान बना
प्लेटोनिक प्यार के पन्नों को चलायमान करता है
आखिर सूखे पत्तों पर तो ही
शब्दों का जाल रच कर
कोई लड़की
संगीत की सत्ता तैयार करती है
जानती है कि
उसकी सोच के सारे रास्ते
इसी सत्ता के माध्यम से
जिन्दगी
के बंद दरवाजों को
खोलने में सक्षम होंगे
जहां से
अपनी मंजिल तय करनी है
तभी वह
गुब्बारे में कैद
अपने सपनों को
कोई दिशा दे पायेगी.
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