tag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post5111743188368297155..comments2023-05-07T20:49:40.257+05:30Comments on kathasrijan: अशोक आंद्रे ashok andreyhttp://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-91532534139576421362013-09-27T23:56:22.458+05:302013-09-27T23:56:22.458+05:30सच को मार दिया जाता है लेकिन मिटाया नहीं जा सकता. ...सच को मार दिया जाता है लेकिन मिटाया नहीं जा सकता. उसी सच का साथ देने उसी जगह से नए हौसले के साथ फिर से बीज पनपता है और फिर... एक दिन सच जीतता है. सार्थक रचना, बधाई अशोक जी. डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-32975865377208730562013-09-22T19:32:04.233+05:302013-09-22T19:32:04.233+05:30यह कविता आपके सोच के केनवास को और अधिक प्रसार देती...यह कविता आपके सोच के केनवास को और अधिक प्रसार देती प्रतीत होती है। <br />शहादत के दर्द की दुर्दांत खाइयों में, बंजारे से भटकते आपके सोच ने आशावाद का आँचल सहेजा है.…. और ….फ़िर से अंतहीन लड़ाई को आगे बढ़ाने को तत्पर … वाह बहुत खूब <br /> इंद्र तथा सविता Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-68632073055707412632013-09-20T14:38:01.161+05:302013-09-20T14:38:01.161+05:30इस कविता में सार्वभौमिक सत्य को उजागर किया है कि ...इस कविता में सार्वभौमिक सत्य को उजागर किया है कि अन्याय,अत्याचार और आतंक से सच्चाई का गला नहीं घोंटा जा सकता । यद्यपि इस कठिन राह पर चलते कुर्बानियाँ देनी पड़ती है ,कुछ कायर खड़े तमाशा देखते हैं , बिरले ही सच्चाई का साथ देते हैं पर उनकी आवाज नक्कारखाने में तूती के समान है। लेकिन मौका पाते ही दबी राख़ में चिंगारी की तरह सत्य फिर भड़क उठता है और दुगुन वेग से आगे बढ़ जाता है । सार्थक काव्य के लिए बधाई । <br /> सुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-56086264311246695002013-09-19T15:02:30.263+05:302013-09-19T15:02:30.263+05:30BAHUT KHOOB . AAPKEE LEKHNI KO
MUBAARAQ .BAHUT KHOOB . AAPKEE LEKHNI KO <br />MUBAARAQ .PRAN SHARMAnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-53915622656426754472013-09-18T11:27:19.680+05:302013-09-18T11:27:19.680+05:30लेकिन यह खून हमेशा
चिल्ला-चिल्ला कर
उस जगह की तरफ...लेकिन यह खून हमेशा<br />चिल्ला-चिल्ला कर <br />उस जगह की तरफ संकेत करेगा<br />जहां से फिर हमें<br />उसकी लड़ाई को आगे बढाना होगा.<br /><br />बहुत खूब<br /><br />आदमी में एक शोला पल रहा है<br />इक अनवरत् युद्ध जैसा चल रहा है<br />।<br /><br />तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-40941852890445881392013-09-17T19:49:49.969+05:302013-09-17T19:49:49.969+05:30एक अच्छी कविता के लिए बधाई अशोक.
चन्देलएक अच्छी कविता के लिए बधाई अशोक.<br /><br />चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-5360599551387266602013-09-17T17:56:09.841+05:302013-09-17T17:56:09.841+05:30 आंद्रे जी , अच्छी कविता है !
खून
... आंद्रे जी , अच्छी कविता है !<br /><br />खून<br /> सुधा अरोरा Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-85634475538851310642013-09-17T16:47:40.518+05:302013-09-17T16:47:40.518+05:30बहुत सच्ची और अच्छी कविता अशोक जी .
साथ ही ये कवि...बहुत सच्ची और अच्छी कविता अशोक जी . <br />साथ ही ये कविता एक प्रश्न भी उठाती है कि क्यों न हम प्रेम और मित्रता बाँट कर जिए . !<br />आपको दिल से बधाई ! <br /><br />विजय vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-17095142044904976232013-09-17T15:54:43.140+05:302013-09-17T15:54:43.140+05:30इस दर्द की लड़ाई में ...कोई साथ दे ना दे ..पर वक्त ...इस दर्द की लड़ाई में ...कोई साथ दे ना दे ..पर वक्त जरुर साथ देता है .....सच कहा किसी बेकसूर को सज़ा देने वाले हम कौन होते हैं ...फिर ये बेवक्त का खून-खराबा क्यों ???Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.com