tag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post6040349200822068894..comments2023-05-07T20:49:40.257+05:30Comments on kathasrijan: अशोक आंद्रे ashok andreyhttp://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-11749874165273905472013-09-20T14:46:33.932+05:302013-09-20T14:46:33.932+05:30आत्मा -परमात्मा के मध्य चलते हुए मानस द्वंद को कवि...आत्मा -परमात्मा के मध्य चलते हुए मानस द्वंद को कवि ने अति दार्शनिक रूप से इस कविता में व्यक्त किया है । <br /><br /> काव्य सौंदर्य के अलावा भाई जी, आपकी कविताओं को पढ़कर दिमाग के बंद कपाट भी खुल जाते हैं ,यह भी इनकी खूबी है। सुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-84412246967331252392013-09-13T13:02:34.490+05:302013-09-13T13:02:34.490+05:30आदरणीय अशोक जी ;
नमस्कार
आपकी कविता पढ़ी . जीवन ...आदरणीय अशोक जी ; <br />नमस्कार <br /><br />आपकी कविता पढ़ी . जीवन के रहस्य से भरी हुई है . ईश्वर की जो कल्पना आपने की है वो सत्य ही है . यहाँ कवि अपने आपको ईश्वर से जोड़ देता है और एक रहस्य से भरे हुए संवाद में ज़िन्दगी की गुत्थी सुलझाता है . <br /><br />आपको ढेर सारी बधाई जी .<br /><br />आपका <br />विजय vijay kumar sappattihttps://www.blogger.com/profile/06924893340980797554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-92185575635308017102013-09-12T19:30:18.050+05:302013-09-12T19:30:18.050+05:30प्रिय अशोक जी,
कविता पढ कर अनायास उभरे विचार --
एक...प्रिय अशोक जी,<br />कविता पढ कर अनायास उभरे विचार --<br />एक सर्वथा ही अलग रहस्यमय लोक की यात्रा पर ले जाती है आपकी ये रचना। पिछली कितनी ही रचनाओं से अपेक्षाकृत अधिक सम्मोहक लगी. कविता पाठक से संवाद करती हुई आगे बढ़ती है ! प्रभु भले ही मूक दृष्टा हों,पर नाटक में रोल देने के परम नियंता भी वही हैं तभी तो परमात्मा कहलाते हैं. <br /><br />- सविता इन्द्र Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-21162225278192322622013-09-12T11:42:51.060+05:302013-09-12T11:42:51.060+05:30एक अलग नजरिया है ईश्वर, देह और आत्मा के संबंध का...एक अलग नजरिया है ईश्वर, देह और आत्मा के संबंध का। कुछ ऐसे कि <br />देह को छोड़कर एक लम्बा सफ़र <br />लौटकर कब मिलन हो पता ही नहीं। <br />रंगकर्मी हूँ मैं और दर्शक हो तुम <br />खेलता हूँ, जो नाटक लिखा ही नहीं। <br />तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-24732278237112809552013-09-12T07:36:50.469+05:302013-09-12T07:36:50.469+05:30जीवन सा कुछ और क्या होगाजीवन सा कुछ और क्या होगाKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-13839189537022635782013-09-11T20:55:30.177+05:302013-09-11T20:55:30.177+05:30नाटक तो मुझे ही खेलना है न.
एक उल्लेखनीय कविता.बध...नाटक तो मुझे ही खेलना है न.<br /><br />एक उल्लेखनीय कविता.बधाई.<br /><br />रूपसिंह चन्देलरूपसिंह चन्देलhttps://www.blogger.com/profile/01812169387124195725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-62425941192121553812013-09-11T18:03:49.675+05:302013-09-11T18:03:49.675+05:30जीवन और मृत्यु के बीच का खूबसूरत द्वंद्ध जीवन और मृत्यु के बीच का खूबसूरत द्वंद्ध Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-36151722960362946452013-09-11T17:36:41.056+05:302013-09-11T17:36:41.056+05:30तुमने तो कथा लिख दी प्रभु सबके हिस्से
अभिनय में क...तुमने तो कथा लिख दी प्रभु सबके हिस्से <br />अभिनय में कोई श्रेष्ठ,कोई अनाड़ी <br />तुमने तो उतार दिया रंगमंच पर <br />…. कुछ संवाद याद रहे,कुछ भूल गए <br />शरीर और दिल-दिमाग के मध्य बड़ी परेशानी है रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com