tag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post7200780566861902980..comments2023-05-07T20:49:40.257+05:30Comments on kathasrijan: आस्था अनंतिम (कहानी) - राज कुमार गौतमashok andreyhttp://www.blogger.com/profile/03418874958756221645noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-82084486183209042412009-10-20T22:49:23.122+05:302009-10-20T22:49:23.122+05:30सच बताना अनंतिम, तुम्हारे जीवन- आदर्शों के चलते तु...सच बताना अनंतिम, तुम्हारे जीवन- आदर्शों के चलते तुम्हें साथी के रूप में एक प्रियतमा चाहिए थी या बाजार की परिस्थितियों को बेहतर पहचानती एक ऐसी औरत जो कि अपने मादरजात आकर्षणों को बेचकर तुम्हारे भविष्य को अगले सौ वर्षों तक सुरक्षित कर पाती? राजकुमार गौतम की यह कहानी रिश्तों में पैठ चुके बाजारवाद पर सचेत सवाल उठाने के साथ-साथ काव्यपरक भाषा में सकारात्मक यथार्थ को भी प्रस्तुत करती है। बहुत दिनों बाद ठोस धरातल की कहानी पढ़ी है, ऐसा लगता है।बलराम अग्रवालhttps://www.blogger.com/profile/04819113049257907444noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4586136780480484719.post-26050608915830843242009-10-20T22:45:12.429+05:302009-10-20T22:45:12.429+05:30राजकुमार गौतम जी आप की कहानी अच्छी लगी और अच्छा लग...राजकुमार गौतम जी आप की कहानी अच्छी लगी और अच्छा लगा आप को यहाँ देख कर .आंद्रे जी आप सार्थक कार्य कर रहे हैं.धन्यवाद.सुरेश यादवhttps://www.blogger.com/profile/16080483473983405812noreply@blogger.com