अनाम रहस्य
जिसे बिना देखे
चले जाते हैं दूर
जो कुछ भी है उनके पास
उसे, स्वयं को मौन रख कर
उसी के सहारे
अपने मौन में ही
किसी अनाम को
स्थापित करते हुए
दिखाई देते हैं.
वहां कुछ भी
समाप्त नहीं होता है.
उसकी चुप्पी
आकाश में उड़ते
पक्षी की तरह,
कोमलता का एहसास कराते हैं.
कई बार
उसके अन्दर बहता तरल
समय को छूता हुआ
आगे निकल कर
नदी का रूप ले लेता है.
लेकिन नदी -
कभी लौटती नहीं
हाँ, नन्ही चीटियाँ जरूर लौटती हैं.
एक छोटा सा घेरा बनाती हुई
ताकि मौत के रहस्य को
उदघाटित किया जा सके.
**********
जंगल में
जंगल में
छोटे से आले के अन्दर
शांत बैठी हुई मूर्ति
सिवाय आँखों के
सब कुछ कह जाती है.
अपने ही ध्यान में
खोई हुई वह,
किसी मंदिर की
मूर्ति जैसी लगती है,
बस प्रणाम करो और...
फिर कहीं दूर चले जाओ.
क्योंकि वहां खामोश
पेड़ के,
पत्तों की
सरसराहट,
किसी अज्ञात का डर,
पैदा करते हैं.
अभी तुम भी
चुप्प रहो
पता नहीं-
हो सकता है यह
इस देवी का
कोई अज्ञात रहस्य हो
तभी तो
सभी चर-अचर
नीले आकाश को देखते हैं सिर्फ ,
सिवाय... उस देवी को.
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जिसे बिना देखे
चले जाते हैं दूर
जो कुछ भी है उनके पास
उसे, स्वयं को मौन रख कर
उसी के सहारे
अपने मौन में ही

किसी अनाम को
स्थापित करते हुए
दिखाई देते हैं.
वहां कुछ भी
समाप्त नहीं होता है.
उसकी चुप्पी
आकाश में उड़ते
पक्षी की तरह,
कोमलता का एहसास कराते हैं.
कई बार
उसके अन्दर बहता तरल
समय को छूता हुआ
आगे निकल कर
नदी का रूप ले लेता है.
लेकिन नदी -
कभी लौटती नहीं
हाँ, नन्ही चीटियाँ जरूर लौटती हैं.
एक छोटा सा घेरा बनाती हुई
ताकि मौत के रहस्य को
उदघाटित किया जा सके.
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जंगल में
जंगल में
छोटे से आले के अन्दर
शांत बैठी हुई मूर्ति
सिवाय आँखों के
सब कुछ कह जाती है.
अपने ही ध्यान में
खोई हुई वह,
किसी मंदिर की
मूर्ति जैसी लगती है,
बस प्रणाम करो और...
फिर कहीं दूर चले जाओ.
क्योंकि वहां खामोश
पेड़ के,
पत्तों की
सरसराहट,
किसी अज्ञात का डर,

पैदा करते हैं.
अभी तुम भी
चुप्प रहो
पता नहीं-
हो सकता है यह
इस देवी का
कोई अज्ञात रहस्य हो
तभी तो
सभी चर-अचर
नीले आकाश को देखते हैं सिर्फ ,
सिवाय... उस देवी को.
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