वह
मौन ---!
आसुओं
का सैलाब
निकल
पड़ता है
कहीं
भी यात्रा पर,
भावनाओं
का समंदर
अंतरतम
में
छिपा
रह कर करता है वास,
सृष्टि
कर्ता ने
नर
की खोखली व्यवस्था में
'आ'
और 'ई'
को जोड़
माँ
की
सुन्दरतम
कल्पना के संग
नये
धरातलों का
कर
दिया है निर्माण.
सृष्टि
ने इसी 'आ',
'ई' के
साथ
हलचलों
का विस्तार कर
जन्मा
दिया खूबसूरत भविष्य को
कालांतर
में
अपनी
मौन स्वीकृति देकर
सृष्टि
के हर अध्याय को देने लगी
विस्तार
सीधी-सच्ची
आ'' और 'ई'
आज
भी
नारी
स्वरूपा बनी माँ
स्वयं
की यात्रा को करती है
व्यवस्थित,
सृष्टि
की सुन्दरतम रहस्य को
छिपाये
हुए अपने भीतर.
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12 comments:
Ek Aur Sashakt Kavita Aapki Lekhni Se . Padh kar Man Aanandit Ho Gayaa Hai . Badhaaee Ashok ji .
बहुत सुन्दर भावप्रणव रचना।
सुन्दर भाव , सुन्दर शब्द, सुन्दर कविता
बीनू भटनागर
माँ पर लिखी हुई श्रेष्ठतम कविताओ में से एक है अशोक जी , मुझे बहुत मन को छु गयी .माँ है तो दुनिया है जी .
आपका आभर
विजय
आदरणीय अशोक जी,
नमस्ते।
मैंने अभी आपकी कविता ' वह मौन ' पढ़ी।
मन की भावुक संवेदनाओं को सुन्दर बिम्बों में पिरोये बहुत सुन्दर कविता है।
कविता की अन्तिम पंक्तियाँ ' नारी स्वरूपा माँ , स्वयं की यात्रा को करती है व्यवस्थित - - -
मन को छू गईं।
हार्दिक बधाई एवं सराहना स्वीकार करें।
मंगलमय शुभकामनाओं के साथ,
सादर,
कुसुम
'अ' और ' ई ' का अभूतपूर्व प्रयोग, शब्दों के पार संवेदना के कम्पित तार , "सृष्टि के हर अध्याय को देने लगी विस्तार" की मौन स्वीकृति ने मन को छू लिया। सृष्टि कर्ता के निर्माण के उलझे प्रश्नों को सुलझाता सशक्त और सार्थक सृजन। बधाई अशोक जी।
आदरणीय अशोक जी,
आपकी कविता पढी. भाव बहुत अच्छे लगे. 'आ' का तात्पर्य माँ से है परन्तु 'ई' का मैं समझ नहीं पाई. कृपया इसका अर्थ बताएँ. बहुत कोशिश कि पर समझ नहीं पा रही.
डॉ जेनी शबनम
जेनी शबनम जी
'आ' और 'ई' को जब मिला कर देखेंगी तो वह 'आई' बन कर माँ का स्वरुप ले लेगी,जो उसकी पूर्णता का अहसास करा देगी. यही मेरा अर्थ था माँ को लेकर.
अशोक आंद्रे
Dear Ashok ji
Aap ne, " voh maun" kavita mein pure naye dharatalon ka kar diya hai nirmaan....uttam.
Aap ke kavi man ne...naari swaroopa Maa ko srishti ke sundertam rehsiyon ko apne bheetar
Chupa kar, swam ki yatra karate hue dekh liya....kiya khoob
Kavita bahut sunder aur sjeev hai. Nari man ko choo leti hai.
Bahut badhaayi aur Shubh kamnaayen.
Aap itna hi sunder likhte rahen yahi kamna hai
Uma Trilok
इस रचना को मैं कई बार पढी. पर 'ई' पर जाकर सोच रूक जा रहही थी. जब आपने 'ई' का अर्थ बताया फिर तो रचना के भाव समझ में आ गए. बहुत उम्दा रचना. बधाई स्वीकारें अशोक जी.
Kya khoob likha hai...man khush Hua..aise shabd chayan k liye badhai
इस कविता में यथार्थ की भित्ति पर आसीन हो नारी के माँ स्वरूप की भाव पूर्ण अभिव्यक्ति हैं। जिसे कवि ने सुंदर शब्दों में ढालकर अपने काव्य कुशलता का परिचय दिया है। इतनी गूढ़ एवं गहन कविता सृजन के लिए अशोक जी को बहुत बहुत बधाई।
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